“Krishna aarti” है बेहद चमत्कारी, 14 भुवन तक पहुंचता है प्रणाम

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श्रीकृष्ण को हिन्दू धर्म में विष्णु भगवान का रूप माना जाता है। जिनपर श्रीकृष्ण का आशीर्वाद होता है, उन्हें जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। पौराणिक पद्धति के अनुसार सनातन धर्म में भगवान कृष्ण की पूजा के बाद krishna aarti गाना फलदायक मानी जाती है। पूजन विधि के उपरांत होने वाली इस आरती से भगवान कृष्ण को प्रसन्न किया जा सकता है और समस्या से मुक्ति प्राप्त कि जा सकती है।

आरती करने की विधि

आरती को हमेशा एक ही स्थान पर खड़े होकर करना चाहिए। वहीं आरती के समय भगवान के सामने झुकना चाहिए और मन को शांत बनाए रखना चाहिए। आरती को चार बार भगवान के चरणों में, दो बार नाभि पर, एक बार मुख के सामने , और सात बार सभी अंगों पर आरती के थाली को घुमाना चाहिए। इस तरह से सभी अंगों पर आरती करने से चौदह भुवन, जो भगवान में समाहित हैं, उन तक प्रणाम पहुंचता है।

श्रीकृष्ण की आरती (krishna aarti)

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला..

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक..

चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…..

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग..

अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस..

जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।
टेर सुन दीन दुखारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की..

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ।

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