नई दिल्ली: अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा होने वाली है. जिसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. कई नेताओं को प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आमंत्रण भी दिया गया है. उधर शरद गुट NCP के नेता जितेंद्र आव्हाड ने भगवान श्रीराम को लेकर एक विवादित बयान दिया है। इसको लेकर उनकी खूब आलोचना हो रही है।
बयान वायरल होने के बाद जितेंद्र आव्हाड ने माफी मांगी ली है। उन्होंने कहा ‘मैं बिना रिसर्च कुछ नहीं बोलता. मैं मुद्दे को तूल नहीं देना चाहता, लेकिन अगर मेरी बात से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं. मैं खेद व्यक्त करता हूं. कभी-कभी गलती हो जाती है.’
ये था Jitendra Awhad का विवादित बयान
जितेंद्र आव्हाड नासिक में आयोजित एक रैली में शामिल होने पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने भाषण के दौरान भगवान राम पर विवादित बयान दिया था। आव्हाड ने कहा कि, ‘श्रीराम को शाकाहारी बनाया जा रहा है. लेकिन क्या उन्होंने वनवास के दौरान मेथी खाई थी, इस देश में 80 फीसदी लोग गैर शाकाहारी और वे राम भक्त हैं. उन्होंने कहा कि हजारों साल पहले, जब कुछ भी विकसित नहीं हुआ था, हर कोई मांसाहारी था. कभी-कभी हमारे मुंह में राम और मन में रावण नहीं रखता.’
क्या है सच्चाई
क्या है सच्चाई
आज राम पर तमाम तरह के आरोप लगाए जाते हैं. लेकिन हमें उनके असली चरित्र को समझना बहुत जरूरी है. मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम सदाचार, सौम्यता, प्रेम, और त्याग के प्रतीक हैं. ऐसे राम जो जंगल में रहने वाली दलित स्त्री शबरी के बेर खाते हैं. ऐसे राम जो बंदरो और आदिवासियों के मदद से दुनिया के सबसे ताकतवर राजा को मार गिराते हैं.
ऐसे राम जो अपने शत्रु रावण के सामने भी सर झुका के ज्ञान प्राप्त करने की बात करते है. शंकर जी का धनुष तोड़ने के बाद जब क्रोधित होकर परशुराम पूछते हैं कि यह धनुष किसने तोड़ा तो राम कहते हैं, नाथ शंभु धनु भंजन हारा, होईये कोऊ इक दास तुम्हारा. ऐसे राम पर इस प्रकार की टिपप्णी करना समझ से परे है
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