लखनऊ/Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है. सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू पक्ष की बात को मानते हुए मस्जिद के अंदर बसे वजूखाने की सफाई की बात को मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि सफाई को जिला प्रशासन के देख-रेख में करना होगा. वही कोर्ट ने प्रशासन से कहा कि सफाई में किसी भी पुराने आदेश का उल्लंघन नही होना चाहिए.
क्या है पूरी घटना (Gyanvapi Case)
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान मस्जिद के अंदर से एक कथित तौर पर शिवलिंग की आकृति मिली थी. इसके बाद कोर्ट के आदेश से उस जगह को सील कर दिया गया था. हिन्दू पक्ष के तरफ से दायर मामले के अनुसार वजूखाने में कुछ मछलियाँ मौजूद थी. यह मछलियाँ वजूखाना सील होने के बाद मर गई. चूकिं मछलियों को मरे करीब एक महीने का समय बीत गया इसलिए वजूखाने से बदबू आ रही है. हिन्दू पक्ष का कहना था कि यहां सफाई होनी चाहिए. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दू पक्ष की बात मानते हुए सफाई की अनुमती दे दी है.
क्या है ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास
भारत में सैकड़ो मस्जिदें है. इसमें से कई ऐसी मस्जिदें है जो मंदिरों को तोड़कर उसके अवशेषों से बनी है. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ज्ञानवापी मस्जिद को 14वीं सदी में जौनपुर के शर्की सुल्तानों ने बनवाया था और इसके लिए उन्होंने यहां पहले से मौजूद विश्वनाथ मंदिर को तुड़वाया था. लेकिन इस मान्यता को तथ्य मानने से कई इतिहासकार इनकार करते हैं, ये दावे साक्ष्यों की कसौटी पर खरे नहीं उतरते. ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि 1669 में औरंगजेब के आदेश से काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर यहां पर मंदिर के आधे हिस्से पर जामा मस्जिद बनाई गई थी. बताया जाता है कि मस्जिद को अलग से बनवाकर मंदिर की नींव और मलबे का ही इसमें उपयोग किया गया था.
ASI ने कोर्ट को दिया रिपोर्ट
पिछले 16 नवंबर को ASI ने अपना 100 का सर्वे पूरा कर लिया है. बताया जा रहा है कि की 40 सदस्यीय टीम ने सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार सिस्टम सहित कई अत्याधुनिक उपकरणों की मदद ली. नई-नई तकनीक के जरिए ज्ञानवापी परिसर में बने ढांचे और इसके तहखानों से लेकर गुंबद और शीर्ष की नाप-जोख कर डिटेल रिपोर्ट तैयार की गई है. अब इस सर्वे के बाद अदालत का फैसला क्या होगा वह आने वाला वक्त बताएगा.
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