सिनेमा को लेकर क्यों निराश हैं Nawazuddin Siddiqui बोले यह सिनेमा नही करेगा सर्वाइव

Nawazuddin Siddiqui

मुंबई: बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का एक साक्षात्कार बहुत वायरल हो रहा है. इस साक्षात्कार में नवाज ने हिन्दी सिनेमा के भविष्य पर बात की है. हैरानी कि बात है कि नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी सिनेमा को लेकर कुछ आलोचनात्मक ढंग से बात करते हुए नजर आ रहे हैं. उनकी बातें हर सिनेमा प्रेमी को जरूर सुननी चाहिए.

क्या बोले Nawazuddin Siddiqui

‘ह्यूमन ऑफ बाम्बे’ को दिए साक्षात्कार में Nawazuddin Siddiqui ने कहा कि, ‘ईमानदारी से कहूं तो मैं बहुत होपलेस हूं. बहुत लोग होते हैं जो आशावान होते हैं. लेकिन ये तो समझ आ गया कि ऑडियंस एक तरह की फिल्में देखना पसंद करती है. देखे, अच्छी बात है. हर तरह का सिनेमा सर्वाइव करना चाहिए. लेकिन ये नहीं हो रहा है. मैं कमर्शियल सिनेमा के बारे में नहीं बोल रहा हूं. वो एक तरह का सिनेमा है. लाखों, करोड़ों लोग उसे पसंद करते हैं. मैं भी पसंद करता हूं. लेकिन शायद अब दूसरे तरह का सिनेमा सर्वाइव ना करे. उसके लिए अभी बहुत टाइम लगेगा.’

क्या होता है कमर्शियल सिनेमा और आर्ट्स सिनेमा में अंतर

आप यह लेख पढ़ रहे हैं तो बड़ा जरूरी है कि आप कमर्शियल सिनेमा और आर्ट्स सिनेमा का अंतर जान ले. आर्ट फिल्मे हमेसा किसी न किसी मुद्दे को छूती नजर आती हैं. आर्ट फिल्मों में नृत्य गान नही होता है. हिन्दी फिल्म के इतिहास में सत्यजीत रे ने इस कला की शुरुआत की थी. वही कमर्शियल सिनेमा वह है जो सिर्फ मनोरंजन के लिए बनाई जाती है. यह सिनेमा सच से कोसो दूर होता है. इसमें अक्सर पांच से अधिक गाने होते हैं. एक्शन, नृत्य और अंग प्रदर्शन भी अधिक मात्रा में होता है. भारतीय दर्शकों ज्यादातर इसे सिनेमा को पसंद करते हैं. उदाहरण के लिए हिरोपंती फिल्म एक कमर्शियल फिल्म है और मंटो एक आर्ट फिल्म है. नवाज आर्ट फिल्मों के ख़त्म होने की बात कर रहे हैं.

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